सागर का किनारा बडे असंमजस में था. वो रोज सोचता था कि ये लहर बहन ऐसा क्युं करती है? पर शिष्टाचार वश चुप रह जाता था.
आज उससे रहा नही गया और लहर के आते ही पूछ बैठा – बहन, मुझे एक बात समझ नही आती की तुम आती हो और तुरंत लौट जाती हो? आखिर बात क्या है? जो तुम हमेशा इतनी हडबडी मे रहती हो? अरे अब आई हो भाई के पास..तो दो घडी बैठो..कुछ अपनी सुनाओ..कुछ मेरी सुनो.
लहर बोली – भैया आप बात तो सही कह रहे हो. पर अगर मैं ठहर गई तो मेरा जीवन ही समाप्त हो जायेगा. इसलिये यह जरुरी है कि आने जाने का क्रम सुचारु रुप से चलता रहे. गति ही मेरा जीवन है और जिस पल ठहर गई..उसी पल मेरी मृत्यु है.
लहर आगे बोलने लगी – भैया आप देखो ना, जब तक पानी अपनी धारा मे बहता रहता है उसको स्वच्छ नीर के नाम से बुलाया जाता है. और जहां उसका बहना बंद हुआ कि वो बदबू मारने लग जाता है.
इस सागर तट और लहर की बातचीत से यही लगता है कि जीवन प्रवाहमान होना चाहिये. इस संसार मे ग्रह नक्षत्र नदियां सभी कुछ तो प्रवाहमान है. जहां इनकी गति रुकी की सब कुछ खत्म.
हमारे जीवन मे भी दुख सुख के रोडे आते ही रहते हैं पर इनसे घबराये बिना हमको जीवन पथ पर अबाध गति से आगे बढते रहना चाहिये.
मग्गा बाबा का प्रणाम.
सागर तट की लहर से बातचीत
Wednesday, 27 May 2009 at Wednesday, May 27, 2009 Posted by मग्गा बाबा
Labels: lahar-kinara, किनारा, लहर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Archives
Labels
- ५६ भोग (1)
- keshavchandra (1)
- lahar-kinara (1)
- अकबर (1)
- अखाडा (1)
- अद्वैत (1)
- अर्जुन (4)
- अश्वथामा (1)
- अष्टावक्र (1)
- आनंद (2)
- आनन्द (1)
- आफत (1)
- इन्द्र (1)
- इन्द्रलोक (1)
- ऋषी (1)
- एक-विधि (1)
- ऐरावत (1)
- कपडा (1)
- कबीर (1)
- कर्ण (2)
- कवच-कुंडल (1)
- कवि (1)
- कारण (1)
- काली (1)
- किनारा (1)
- किष्किन्धा (1)
- कुटिया (2)
- कुंती (2)
- कैलाश (1)
- क्रोध (1)
- खाटू श्याम जी (1)
- खून (1)
- खोपडी (1)
- गज (1)
- गणेश (2)
- गदायुद्ध (1)
- गांधारी (2)
- गाय (1)
- गुरु (1)
- गूगल (1)
- गैलिलियो (1)
- गोरख (4)
- घटोत्कच (1)
- घुड़सवार (1)
- चीन (1)
- चुडैल (2)
- चूहा (1)
- चोर (2)
- जनक (3)
- जाम्बवंत (1)
- जुन्नैद (1)
- जोसुका (1)
- ज्ञान (1)
- ज्वालामुखी (1)
- तलवार (1)
- तानसेन (1)
- ताल (1)
- दरबार झूँठ (1)
- दशानन (2)
- दान (1)
- दासियाँ (2)
- दुर्योधन (3)
- देवदत (1)
- दोस्त (1)
- द्रौपदी (5)
- द्वैत (1)
- धनुर्धर (1)
- धर्म (1)
- धर्मग्रन्थ (1)
- धर्मराज (1)
- ध्यान (2)
- नदी (1)
- नर्तकी (1)
- नशा (1)
- नारद (2)
- नारदमुनी (1)
- निंदा (1)
- पत्नी (1)
- पाम्पई (1)
- पार्वती जी (1)
- पिंगला (1)
- पोटली (1)
- पोप (1)
- प्रबंधन (1)
- प्रार्थना (1)
- प्रीतम (1)
- प्रेत (1)
- प्रेमी (1)
- फकीर (2)
- फ़कीर (4)
- बर्बरीक (1)
- बसंतक (1)
- बहन (1)
- बह्राथारी (1)
- बादशाह (1)
- बाबा (1)
- बाली (1)
- बुद्ध (3)
- बेटी (1)
- बोकोजू (1)
- बोधिधर्म (1)
- ब्रह्मचारी (1)
- ब्रह्माजी (1)
- भगवान विष्णु (1)
- भांग (1)
- भिक्षु (1)
- भिक्षुक (1)
- भीम (3)
- भीस्म पितामह (1)
- भुत (2)
- भोलेनाथ (7)
- मदिरा (1)
- मस्ती (1)
- महल (1)
- महात्मा (1)
- महाबली (1)
- महाभारत (2)
- माँ (2)
- मां पार्वती जी (1)
- मानवमुनी (1)
- मित्र (1)
- मीरा (1)
- मेथीदाना (1)
- मोर (1)
- मौत (1)
- यक्षिणी (1)
- यशोधरा (1)
- यहूदी (1)
- युधिष्ठर (1)
- रथ (1)
- रस (1)
- राजकन्या (1)
- राजकुमार (1)
- राजमहल (1)
- राजा भोज (1)
- राम (1)
- रामकृष्ण (1)
- रावण (2)
- रावण. सुग्रीव (1)
- राहुल (1)
- रैदास (1)
- लंका (1)
- लक्ष्मण (1)
- लक्ष्मी (1)
- लक्ष्मीजी (1)
- लंगोटी (1)
- लघुता (1)
- लड़की (1)
- लड्डू (1)
- लहर (1)
- लोभ (1)
- वज्र (1)
- विष्णु (2)
- वेश्या (1)
- शक्ति (2)
- शनिदेव (1)
- शिव (1)
- शिष्य (1)
- शुद्धोधन (1)
- शेर (1)
- श्रद्धांजलि (1)
- श्री कृष्ण (1)
- श्रीकृष्ण (2)
- श्रीराम (1)
- संगीत (1)
- संघ (1)
- संत तिरुवल्लुवर (1)
- सत्य (1)
- संन्यासी (2)
- सपना (1)
- समय (1)
- सम्राट वू (1)
- संयमी (1)
- सरदार पूरण सिंघ (1)
- संसार (1)
- सांप (1)
- सिद्धार्थ (1)
- सुग्रीव (2)
- सुंदर (1)
- सूर्य (1)
- सूर्य देव (1)
- सेठ (2)
- सोना (1)
- स्पैम (1)
- स्वभाव (1)
- स्वर्ग (1)
- स्वामी ramtirth (1)
- स्वामी रामतीर्थ (1)
- हनुमान (2)
- हरिदास (1)
- हंस (1)
- हीरा (1)
6 comments:
27 May 2009 at 18:12
अन्दर आई सांस सुख और बाहर गई सांस दुख
अन्दर आई सांस को रोक कैसे सकते हैं….।…।
सांस अगर ठहर जाये तो ??????
28 May 2009 at 01:26
वाह क्या बात है, लेकिन ...
बहुत सुंदर
राम राम जी की
28 May 2009 at 07:19
बिलकुल सही कहा आपने. मग्गा बाबा की जय!
28 May 2009 at 19:47
सत्य वचन !
बहता पानी निर्मला, पड़ा गंदिला होय !
बहता पानी निर्मला, साधु तो रमता भला !
4 June 2009 at 11:13
Beautiful depiction of life! And very inspirational too!
10 June 2009 at 15:56
जब तक पानी अपनी धारा मे बहता रहता है उसको स्वच्छ नीर के नाम से बुलाया जाता है. और जहां उसका बहना बंद हुआ कि वो बदबू मारने लग जाता है.
SACHMUCH...
YAHI JIVAN KA SATYA HAI..
KAHA BHI GAYA HAI KI.
"JEEVAN CHALNE KA NAAM, CHALTE RAHO SUBHAH O SHAM"
"GADI BULA RAHI HAI SEETI BAJA RAHI HAI,
CHALNA HI JINDAGI HAI CHALTI HI JA RAHI HAI"
Post a Comment