Posted By P. C. Rampuria (Mudgal)
नमस्कार, आपके पधारने का धन्यवाद.
रामपुरिया का हरयाणवी ताऊनामा का टेम्पलेट कुछ नखरे दिखाने लग गया है. उससे समझोता वार्ता चल रही है. अगर समझौता हो गया तो ठीक वर्ना हम दुसरा टेम्पलेट देख रहे हैं. आपसे विवेदन है कि मेरी आज की पोस्ट और खूंटा यहां नीचे पढने का कष्ट करें.
धन्यवाद.
निवेदन कर्ता : ताऊ रामपुरिया
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आजकल बिना मांगे सलाह देने की बहार आई हुई है. जिसे देखो वो सलाह देना शुरु कर देता है. हमारे इंदोरी मित्र श्री दिलिप कवठेकर जी ने हमको ढूंढने के चक्कर में वो वाली पान की दुकान ढूंढ ली जहां की सलाह पढ कर हमारे ज्ञान चक्षू खुले थे. यानि जहां किसी को ज्ञान ना बांटने की सलाह दी गई है. और उस दुकान वाले से उन्होने हमारा पता लेकर, हमारे ताऊ आश्रम तक आ पधारे.
यानि वो ऐसे पहले ब्लागर बने जो ये दावा कर सकते हैं कि ताऊ को मिलने वाले वो प्रथम ब्लागर हैं. अब ये भगवान जाने कि वो ताऊ के हमशक्ल से मिले या कि किसी और से? हमको भी कुछ नही पता. तो अब ज्यादा आपको क्या बताये?
लोगों ने सलाह दी कि ताऊ अब ये भैंस पुराण बहुत होगया इसे बंद करो और कुछ इज्जत लायक लिखो. बुढौती मे कदम रख दिये और ये उल्टे सीधे काम करते हो? कभी पहेली, कभी कविता...जाने तुम्हारी अक्ल को भी क्या हो गया है? अरे कुछ तो ऐसा लिखो जो की किसी के काम आये. कोरी बकबास लिखते हो. तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी हमको.
लो कर लो बात.. बुढौती मे इज्जत लायक लिखने की अक्ल आने की गारंटी है क्या? अब इज्जत लायक क्या लिखें? अरे आप जरा बिना दुध पिये रह जाओ ! फ़िर जाने हम आपको. अब ये भैंसे हैं तो आपकी सेहत है. और सेहत है तो अक्ल है. अब आपने हमारी भैंसों से ही हमको दूर करवा दिया तो लिखने की अक्ल कहां से आयेगी?
खामखाह हमारी चंपाकली और अनारकली से हमको दूर करवा दिया और खुद तो खरीद कर दूध का सेवन करते हैं और हमे चाय पीने के काबिल भी नही छोडा.
हम तो जारहे हैं अपनी चंपाकली को लेने चांद पर. किसी को ऐतराज हो तो हमारी बला से. हमने भी फ़ुरसतिया जी का ध्येय वाक्य आत्मसात कर लिया है कि हम तो भैंस,गधे और बिल्ली बंदर पर ही जबरदस्ती लिखेंगे. कोई हमारा क्या कर लेगा?
ताऊ पत्रिका-१० मे " मेरी कलम से " स्तंभ मे सु. सीमाजी ने गधे की कहानी सुनाई थी कि लडके और बुड्ढे ने गधे को नदी मे पटक दिया और उससे हाथ धो लिया.
अब सु. सीमाजी को क्या बतायें कि वो बुड्ढा और लडका असल मे रामदयाल कुम्हार और उसका लडका रमलू थे. सीमा जी ने सिर्फ़ प्रबंधकीय लिहाज से उस घटना का अवलोकन किया. पर असल बात बहुत गहरे राज की है.
तो आइये वो असली बात हम आपको बता देते हैं कि वो गधा जिसका नाम संतू गधा था वो नदी मे गलती से गिरा था या रामदयाल और उसके छोरे रमलू ने जान बूझकर अपना पीछा छुडाने को गिरा दिया?
वाकई बहुत शातिर थे दोनों बाप बेटे. मेनका गांधी की फ़ौज से बचने का पक्का उपाय किया था उन्होनें.
जब रामदयाल और उसके लडके रमलू ने उनके गधे संतू को नदी मे पटका था उसके कुछ समय पहले वो संतू गधा बडा दुखी होता हुआ ताऊ के पास आया था.
और बडे दुखी मन से बोला कि ताऊ अब मैं बुढ्ढा हो चला हूं, पहले जैसा काम भी नही कर पाता. अब ये रामदयाल मुझे बेचना चाहता है पर मेरे टुटे दांत देख कर कोई खरीदता नही है.
अब मैं इनको चारे से भी महंगा पडने लग गया हूं. कल रात ही रमलू अपने बापू रामदयाल से कह रहा था कि बापू चल, इस संतू गधे को कही जंगल मे छोड आते हैं वहां शेर चीता इसको खा पी लेंगे और हमारा पीछा छूट जायेगा.
संतू गधा आगे बोला - अब बताओ ताऊ, मैं क्या करूं? कितने कृतघ्न इन्सान हैं ये दोनों बाप बेटे? जब मैं दिन रात काम करता था तब ये ही रामदयाल कहता था कि ये गधा नही ये तो मेरे रमलू के बराबर है. मैं इसको सच्चा प्यार करता हूं.
ताऊ : देख बेटा संतू गधे, अब तू सच्चे प्यार की दुहाई तो दे मत. अरे बावलीबूच, सच्चा प्रेम तो भूत की तरह है जिसकी चर्चा तो सब करते हैं, पर उसको देखा किसी ने नहीं। तू भी तो आखिर जवानी मे चंपा गधेडी को यही सपने दिखाया करता था ना?
अब ताऊ आगे बोला - देख मेरे प्यारे गधे. तू भी आखिर ताऊ के पास आया है और जब सब बिन मांगी सलाह देने लग रहे हैं तो तू तो आगे चल कर सलाह मांगने आया है.
और तेरी मदद तो मैं अवश्य ही करुंगा क्योंकि तू तो कृष्णचंदर जी वाले गधे की औलाद है. तेरी नस्ल को भी तो संरक्षित करना ही है ना.
एक सलाह ये कि हमेशा अपना मोबाईल अपने साथ मे रखना. जब भी आफ़त मे आओ मुझे फ़ोन करना तब मैं तुमको उपाय बताऊंगा. अभी से क्या बताऊं? पता नही तुझे रामदयाल और रमलू कहां लेजाकर मारेंगे? बस तू तो मुझे फ़ोन कर लेना. ताऊ की बात मानकर संतू गधा उस समय तो वापस चला गया.
पर अगले ही सप्ताह अचानक उस गधे का फ़ोन आया और बोला - हैलो..हैलो ताऊ, मर गया मैं तो. बचाओ..बचाओ...उसकी डूबी सी आवाज आ रही थी.
ताऊ ने पूछा - हां हैलो..कौन संतू? हैलो हां ..बोल बेटे बोल...क्या कहा मर गया? तो फ़िर कहां नरक से बोल रहा है? या सीधे स्वर्ग मे उर्वशी - मेनका की नृत्य महफ़िल आबाद कर रहा है?
गधा बोला - ताऊ, मजाक का समय नही है. रामदयाल और रमलू ने मुझे गांव के बाहर वाले सुखे कुये मे धक्का दे दिया है और अब गांव मे जाकर हल्ला कर रहे हैं कि उनका गधा अंधेरे मे कुंये मे गिर पडा है. मुझे बचाओ ताऊ.
अब ताऊ ने गधे को अपनी स्कीम समझाई और घबराने की बजाये धैर्य से काम लेने की सलाह दी. बाकी का किस्सा अगले हिस्से मे पढ लिजियेगा कि संतू गधा कुयें से निकला या वहीं मर गया कुएं में.