आनन्द बुद्ध का चचेरा भाई था ! इसके साथ बुद्ध का बचपन बीता था ! दोनो राज महल मे एक साथ खेलते हुये बडे हुए थे ! बुद्धत्व प्राप्ति के बाद आनद भी बुद्ध के साथ २ रहने लगा था ! और बुद्ध से यह करार करवा चुका था कि वह रात मे उनके साथ ही सोयेगा ! बुद्ध जब भी किसी से मिलेंगे तो आनन्द वहां से जायेगा नही ! आदि .. ! आनन्द के बारे मे फ़िर कभी सन्योग वश जिक्र आयेगा तब बतायेंगे ! अभी जिन पाठको को पता नही है, उनको इसका नाम आने पर अडचन नही हो इस लिये इतना इशारा कर दिया है !
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राजा शुद्धोधन किन्कर्तय मुढ होकर बैठे है ! उनकी समझ मे कुछ नही आ रहा है !
उनको चल चित्र की तरह पुरानी घटनाएं याद आ रही हैं ! उनको याद आ रहा है ! पुत्र
जन्म और उसके बाद के दिन ! वो आज भी बुद्ध को अपनी अंगुली पकड कर चलने
वाला गौतम जी हां , राजकुमार गौतम समझ रहे हैं ! पुत्र जन्म के बाद उनको याद आ
रही हैं वो ज्योतिषियों द्वारा की गई भविष्य वाणियां ! और उन भविष्यवाणियो की याद
आते ही जैसे वो इस विचारों की दुनियां से बाहर निकल आये !
उधर बुद्ध , अपनी पत्नी के सामने खडे हैं ! उस जगह पर यशोधरा, बुद्ध की पत्नि के
साथ उनका पुत्र राहुल भी है ! और बुद्ध के साथ उनका चचेरा भाई आनन्द है !
कुल चार लोग वहां पर मौजूद हैं ! एक अजीब सी खामोशी वहां छाई है ! कोई कुछ बोल
नही रहा है ! यशोधरा बहुत गुस्से से भरी है ! पर बोल नही रही है ! उसके मन में
बुद्ध के लिये अनगिनत सवाल हैं ! पर खामोशी है !
अचानक बुद्ध आनन्द से कहते हैं - आनन्द तुम थोडी देर के लिये बाहर चले जाओ !
मैं तुमको दिया हुवा वचन तोडना चाहता हुं ! यह सुन कर आनन्द को बडा दुख और
आश्चर्य लगता है ! वो बुद्ध के मुंह की तरफ़ देखता है ! जैसे पूछता हो कि - क्यों ?
मैं क्या पराया हूं ? बुद्ध ने कहा - नही आनन्द ! ये बात नही है ! असल मे तुम समझ
नही पा रहे हो ! यशोधरा अभी भी एक पत्नि है ! उसको इस बात से कुछ लेना देना नही
है कि उसका पति बुद्धतव को प्राप्त हो गया है ! उसके लिये तो मैं अभी भी उसका पति
ही हूं ! तुम हमको अकेला छोड दो ! उसको अपने मन का गुबार निकाल लेने दो ! वो तुम्हारे
सामने नही बोल पायेगी ! पति पत्नि की घनिष्ठता ऐसी ही होती है जो एकान्त मे ही खुल
कर प्रेम कर सकते हैं और एकान्त मे ही झगड भी सकते हैं ! सार्वजनिक तौर पर उनमे
प्रेम और झगडा दोनो का ही अभाव दिखाई देता है !
आनन्द चकित है ! कितनी करुणा , कितना प्रेम है बुद्ध के मन मे ? यशोधरा के प्रति
अभी तक इतना प्रेम इतनी करुणा ? सच , इसीलिये तो बुद्ध हैं ! आनन्द उनको प्रणाम
करके पीछे हट जाता है ! थोडी देर की खामोशी के बाद बुद्ध चुप्पी तोडने की कोशीश
करते हैं ! मैं आ गया ...... बुद्ध अपना वाक्य भी समाप्त नही कर पाते हैं कि एक
पत्नि का गुस्सा फ़ूट पडता है !
तुम आये ही क्यों हो ? यशोधरा लग भग चीखते हुये पूछती है !
बुद्ध करुणा भरी आंखों से यशोधरा की तरफ़ देखते हैं ! बोलते कुछ नही हैं !
इससे यशोधरा का गुस्सा और तेज हो जाता है ! इतने साल से दबा हुवा क्षोभ !
वो लावा फ़ूट पडता है ! वो पूछती है - कहां गया वो तुम्हारा वचन ? तुमने तो
जन्मो का साथ निभाने की कसमे खाई थी ? तुम झुंठे, बेइमान, मक्कार इन्सान !
बुद्ध शांत भाव से सुनते हैं ! उनकी शांति यशोधरा के गुस्से को और भडकाती है !
सही है यशोधरा तो एक पत्नि है ! एक महारानी है ! उसको क्या लेना देना किसी बुद्ध
से ? उसका तो एक हंसता खेलता संसार था जिसको इस आदमी ने उजाड दिया था !
बेटे के जन्म के बाद यशोधरा की अनूभुतियों को इस आदमी ने धूल मे मिला दिया था !
इसको कैसे माफ़ करे वो ? और अब ये शरीफ़ बन कर चुप चाप खडा है ! बुद्ध कि
कोई बुद्धता यशोधरा को दिखाई नही देती ! वो पूछती है -- आखिर मुझमे ऐसी क्या
कमी थी ? क्यों तुम घर छोड कर भाग गये ? अरे वो भी सोती हुई को छोड कर ? चुप चाप,
बिना बताये ? क्यों ? आखिर क्यों ? क्या तुमको इस तुम्हारे पुत्र की भी फ़िक्र नही थी ?
अब बुद्ध बोलते हैं - देखो मेरे पास अब पहले से भी ज्यादा प्रेम है ! मैने प्रेम को
जाना है, समझा है .. पहले से भी ज्यादा ! बुद्ध करुणा भाव से कहते हैं !
यशोधरा -- हां हां .. जानती हूं बहुत बडे सिद्ध बन गये हो ? तुमको जरा सी भी
दया... शर्म ,,लजा नही आई ... सोती हुयी पत्नि को छोड गये ? सोते हुये नवजात पुत्र
का भी मोह नही हुवा तुमको ? फ़िर निर्लज्ज जैसे कहते हो , तुमने और बडा प्रेम जान
लिया है ? अरे अब क्या करोगे ? और पुत्र राहुल को हाथ पकड कर आगे करती हुई
यशोधरा अपने पुत्र राहुल को कहती है -- देख .. देखले ये आदमी है तेरा बाप !
तू हमेशा पूछता था ना ! कौन है तेरा पिता ? ले मिल ले ये है तेरे पिता !
और इतना सब सुनाने के बाद भी जब बुद्ध बिल्कुल शांत करुणा युक्त दिखाई देते हैं तो
यशोधरा और भडक जाती है ! असल मे ये तो बुद्ध एक तरफ़ा मौका दे रहे हैं ! अरे
अगर इतना सुनने के बाद भी गुस्सा नही आये तो लडने का मजा ही नही आयेगा ! और अगर
पति पत्नि की लडाई हो तो फ़िर और जरुरी है जवाब देना ! पर अब पति कहां ? यहा तो
सिर्फ़ पत्नि है ! पति कभी का जा चुका ! भले ही शरीर पति का है ! पर उसकी आत्मा तो
परम चेतना मे विलीन हो चुकी ! अब परम चेतना क्या जवाब दे ? और पत्नि को
जवाब नही मिले तो फ़िर वो पत्नि ही कैसी ?
पल प्रति पल यशोधरा का गुस्सा बढता ही जा रहा है ! सही है जहर को जहर ही
मारता है ! अगर बुद्ध कुछ नाराज होकर डांट देते तो यशोधरा खुश हो जाती ! यही
तो पति पत्नि का कुल प्रेम का मूल मन्त्र है ! पर बुद्ध चुप चाप सुन रहे हैं
अब यशोधरा की सहन शक्ति जवाब देने लग गई ! कैसा है ये आदमी ? चुप चाप खडा है !
सही है , दुनिया की कोई पत्नि ये नही मंजूर कर सकती कि उसका पति बुद्ध हो गया है !
वो तो उसको हमेशा ही बुद्धू समझती है ! और यशोधरा भी अपवाद नही है !
अब यशोधरा ने नया ब्रहमास्त्र चलाया ! बेटे का हाथ पकड कर आगे किया और चीखते हुये
बोली - देख ये तेरा पिता है ! पूछ इससे तुझे क्यों छॊड गया था ? और पूछ तेरे लिये इसने
कौन सा राज सिंघासन छोडा है ? क्या विरासत छोडी है ? राहुल.. पूछ .. मत शर्मा...
और राहुल अपने पिता बुद्ध की तरफ़ देखता है ! बुद्ध आगे बढते हैं और अपने हाथ का
भिक्षा मांगने का भिक्षा पात्र राहुल की तरफ़ बढा देते हैं ! राहुल उनसे भिक्षा पात्र लेकर
माथे से लगा लेता है ! और बुद्ध राहुल का हाथ थामे राज महल से बाहर चले जाते हैं !
मग्गाबाबा का प्रणाम !