विचारों मे खोये खोये भोलेनाथ अचानक चिलम का लम्बा कश खींच करबोल
पडे-- हे मित्र विष्णू ! आप व्यर्थ परेशान हो रहे हैं ! आप तो कुछ भी परेशान नही हैं !
अगर मैं तुमको मेरी परेशानी बताऊं तो तुम सोचोगे मित्र कि तुम्हारी परेशानी तो कुछ
भी नही है ! अब बारी विष्णु भगवान के चौंकने की थी ! वो तो समझे बैठे थे कि इस
ओघड दानी को क्या परेशानी हो सकती है ? शाम को झोली खाली कर लेते हैं सो कोई
चिन्ता नही ! और कभी थोडी बहुत हुई भी तो सुल्फ़ा, गान्जा और भान्ग तो है ही
शायद गम दूर करने के लिये ! भगवान विष्णू जी ने भोले बाबा की तरफ़ देखते हुये
कहा -- मित्रमुझे नही लगता कि आप को कोई परेशानी होगी ! आप जैसा सुखी
तो कोई दुसरा हो ही नही सकता !
भोलेनाथ ने कहा -- मित्र अब तुमको क्या बताऊं ? तुम को विश्वास नही होता ना !
तो सुनो ! मैं तुमको जो इतना शान्त और गम्भीर और सन्तुष्ट दिखाई देता हूं
उसके पीछे भी यही कारण है ! आपको मालूम नही है शायद कि मैं यहाँ
कितनी परेशानी मे हूं ! अरे मित्र तुमको तो सिर्फ़ एक लक्ष्मी भाभी से ही
परेशानी है ! और तो कोई तकलीफ़ आपको नही है ना ! पर मुझे यहाँ कौनसी
तकलीफ़ नही है ? ये तो पुछो जरा ! अब विष्णु भगवान को लगा की शायद
भान्ग गटकने के बाद भोले भन्डारी बाबा को सुल्फ़े का डोज कुछ
ज्यादा हो गया लगता है ! और इसीलिये कुछ तो भी बोलने लग गये हैं !
दुनियां भोला कहती तो भगवान शन्कर को है पर वो इतने भोले हैं नही !
असल भोलापन तो परम समझदार विष्णु भगवान दिखा रहे थे जो भगवान
आशुतोष को नशे मे समझने की भूल कर रहे थे ! अरे जिस भोले भन्डारी
के सारे नशे गुलाम हों ! भला उसको कौन से नशे की गुलामी करनी पड सकती है ?
अरे वो तो ये ही भोले नाथ थे जिन्होने समुद्र मन्थन के उस परम हलाहल विष
को भी उठा कर गले मे रख कर नीलकन्ठ बन गये थे ! नही तो उस विष के
प्रभाव से ये दुनियां कभी की खत्म हो गयी होती ! और भगवान आशुतोश को
उस गले मे रखे विष की आग ठन्डी करने के लिये ही ये भान्ग ,गान्जे का
सेवन करना पडता है ! आखिर जहर को जहर ही तो मारता है ! ये भी
एक तरह की कीमो-थेरपी ही है ! और आज के युग का कोई भी डाक्टर आराम
से ये समझ सकता है ! मेरे को तो भगवान आशुतोश ने ऐसा ही बताया है !
मैने भी उनसे पुछा था की आपका हवाला देकर लोग ये नशे करते हैं !
तब उन्होने उपरोक्त राज की बात बताई थी ! आजकल तो फ़ोकट बहाने बाजी
ढुण्ढ लेते हैं पीने पीलाने की ! अरे पीना ही है तो पहले जहर पीओ फ़िर दुसरे
नशे करो ! भोले नाथ के नाम पर ये मोड्डे बाबा और कुछ ग्रहस्थ भी नशे करते हैं !
वो बिल्कुल गलत है !
अब भोले नाथ ने आगे कहना शुरु किया तो जो कुछ उन्होने बताया वो सुन
करा भगवान विष्णू ने उनको प्रणाम किया और बोले मित्र आपने तो मेरी
आंखे खोल दी ! प्रभू इसीलिये आप त्रिलोकी नाथ कहलाते हैं ! आप धन्य है प्रभू !
आपको मेरा बारम्बार नमस्कार है ! अब आप भी सोच रहे होंगे की ऐसा भोलेनाथ
ने विष्णु जीको क्या बता दिया जो अभी तक तो उनकॊ नशे मे समझ रहे थे
और अब उनको बारम्बार नमस्कार कर रहे हैं ! तो लिजिये आप भी सुन लिजिये !
भोलेनाथ ने बताया- मित्र आप नाहक ही दुखी होते हैं ! जीवन मे विसन्गतियां
ही जीवन को पनपने मे मदद करती है ! आप सोचिये मेरी क्या हालत होती है ?
मैं जीवन की इतनी महान विसन्गतियों मे रहता हुं ! आपने मेरी स्थिती पर
ध्यान दिया होगा तो देखा होगा कि मेरा वाहन है नन्दी बैल और आपकी
भाभी पार्वतीका वाहन है शेर ! और वो शेर २४ घन्टे इसी ताक मे रहता है
कि कब नजारा चुके और इन नन्दी महाराज को चीर फ़ाड कर लन्च डिनर
कर ले ! और मैने बहुत समझाया था वाहन खरीदते समय कि मेरे पास
बैल है तुम कोई दुसरा मिलता जुलता ब्रान्ड देख लो ! पर मेरी कोई सुने तब तो !
आपकी भाभीजी को तो ये शेर महाराज वाहन के रुप मे जन्च गये तो जन्च गये !
अब हम हमारी पीडा किसे बताये ? और आगे सुनो -- बडे लडके कार्तिकेय के
पास वाहन है मोर ! और ये जो मोर है ये २४ घन्टे इस फ़िराक मे रहता है
कि कब मेरी नजर चूके और मेरे गले मे ये जो सांप लटक रहा है इसका
कलेवा कर जाये ! और छोटे लडके का वाहन है चूहा ! अब गणेश को भी
मैने बहुत समझाया था कि बेटा तू कोई दूसरी सवारी लेले ! मेरे गले का
ये सांप बहुत खतरनाक विषधर है और ये इस चुहे नामक वाहन का नजर
चूकते ही नामोनिशान मिटा देगा ! पर नही वो तो महा जिद्दी है ! बोला- पिताजी
आप ही सांप की जगह गले मे और कुछ लपेट लो ! मुझे तो चूहा ही चाहिये !
अब ये मेरे गले का नाग इसी जोगाड मे रहता है कि कब गणेश के चुहे
का नाश्ता पानी कर ले !
मित्र अब तो आप समझ गये होंगे ? मैं यहां पुरे परिवार के साथ इतनी
भीषण ठन्ड मे रहता हूं ! पर मुझे कोई शिकायत नही है ! इन विसन्गतियों
के बिना जीवन को पनपने की उमीद नही करनी चाहिये ! जैसे जमीन मे
जब बीज को अन्दर डाला जाता है तो बीज तो सोचता है मर गया मैं तो !
इतना महान अन्धकार ! और अगर वो तुंरत ही घबरा कर बाहर निकल
आये तो क्या कभी पेड बन पायेगा ? नही ना ! तो मित्र जीवन की कुछ
विसन्गतियां जन्म जात होती हैं ! और कुछ हमारी खुदकी निर्मित होती हैं !
हम अपनी खुद के द्वारा निर्मित परिस्थितियों मे तो अपनी गलतियों से
फ़ंसते है और उनसे खुद ही प्रयत्न पुर्वक बाहर निकल सकते हैं पर कुछ
हमारे काबू के बाहर होती हैं ! उनसे हम धैर्य पुर्वक ही मुकाबला कर
सकते हैं ! भोले नाथ के वचन सुन कर भगवान विष्णू ने श्रद्दा पुर्वक
भोलेनाथ को प्रणाम किया और बोले - भोलेनाथ इसी लिये आप जगद गुरु
कहलाते हैं ! (क्रमश:)
मग्गाबाबा का प्रणाम !
(अगले भाग मे पढिये : लक्ष्मी जी के गुरु मन्त्र का माता पार्वती पर क्या
असर हवा ? और इसी क्रम मे दादा दशानन रावण का कैलाश आगमन )
8 comments:
16 August 2008 at 21:21
बाबाजी आपने बिल्कुल सत्य लिखा है ! भोलेनाथ
से ज्यादा विषम परिस्थितियाँ और किस की हो सकती है ?
सत्यम , शिवम्, सुन्दरम ! बाबाजी प्रणाम !
16 August 2008 at 22:04
बहुत सुंदर और शिक्षाप्रद कहानी है ! इसको
पढ़ कर पहले तो लगा कोई मजाक है ! पर
बाबाजी यह तो बहुत शकुनदायक कहानी है !
आपको बहुत धन्यवाद |
16 August 2008 at 22:29
बाबा जी ,राम राम, ओर प्रणाम,आप की गूढ ग्यान की बाते सुन कर हमारे दिमाग की कई (Window 95-xp)तक सारी खुल गई,क्या बात हे,भगवान की भी जासुसी..लेकिन एक ग्यान की बात पता चल गई, हम ही नही भगवान भी दुखी थे, तब भी राजनीति चलती थी जानवरो मे, ओर आज भी ...लेकिन मजाक मजाक मे बहुत सी ग्यान की बाते बता दी,राम राम
धन्यबाद बाबा जी
17 August 2008 at 12:34
दुख को दुख काटता है महाराज...........
वाह......
क्या बात है..........
18 August 2008 at 00:49
पहली बार आपका दिव्य प्रवचन सुनने...नहीं पढ़ने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ। हमें अतिशय आनन्द की प्राप्ति हुई है। धन्यवाद स्वीकारें जी महामानव मग्गा-बाबा...
18 August 2008 at 05:41
आज के शिक्षाप्रद प्रवचन की दाद देनी पड़ेगी. बहुत अच्छी शिक्षा मिली है.
मग्गा बाबा की जय हो!
बम बम भोले!
24 February 2009 at 14:37
magga baba ji ko mera pranam.
apke dara pravachan bahut mahan hei,
24 February 2009 at 14:38
baba ji paranam apki jay ho.
isi prakar pravchan dete rahiyega .
atma ko shanti milati hei.
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