प्रिय मित्रों, जाते समय जो गुरु मन्त्र लक्ष्मी जी ने पार्वती माता
के कानो मे फ़ूंका था उसने भोलेनाथ को परेशानी मे डाल दिया !
भगवान विष्णू और लक्ष्मी जी तो क्षीर सागर चले गये और यहां माता
पार्वती ने भोलेनाथ की ऐसी तैसी कर दी !
लक्ष्मी जी की बाते पार्वती जी को अन्दर तक हिला गई ! और
उनको लगा कि लक्ष्मी बहन सही ही कह रही थी ! मैं हि बेवकुफ़
थी जो इस भन्गेडी के चक्कर मे आके बच्चों के लिये घर भी
नही बनवाया ! और ये भी कैसा ओघड है कि लोग इसकी जय जय
करके इनका सब कुछ लुट ले जाते हैं और ये वरदान देने के नाम पर
पूरा घर ही लुटा देता हैं ! और अब आगे से ऐसा नही चलेगा ! माता
पार्वती ने ऐसा निश्चय कर लिया ! और उनको गुस्सा तो इतना चढा था
कि सीधे कोप भवन मे ही जाना चाहती थी ! पर भोलेनाथ भी कोई
कच्चे खिलाडी नही थे , शायद इसी डर के मारे उन्होने कोप भवन तो
क्या एक ईंट तक नही लगवायी थी ! शायद इसी लिये अन्तर्यामी कहलाते हैं !
सो जो कुछ भी करना हो , सब कुछ खुले आसमान के नीचे ही करना पडता था !
शाम ढलने को थी और भोले बाबा की परम मनोहारी बूंटी (भान्ग) के
सेवन का समय हो चुका था ! और इस समय तक तो माता पार्वती जी
भोलेनाथ के सामने भान्ग का लबालब कटोरा भर कर पेश कर दिया
करती थी ! पर एक घंटा के उपर का समय हो गया और अभी तक भी
ऐसा नही लग रहा था कि कहीं कोई तैयारी चल रही होगी !
आप भी अगर कोई नशा पता करते होन्गे तो जानते ही होन्गे की नशा
अगर अपने नियत समय पर नही मिले तो थोडी बैचैनी होने लगती है !
जिसे आम भाषा मे तलब लगना कहते हैं ! भोले नाथ ने इधर उधर
नजर दौडाई पर सब कुछ शान्त दिखाई दिया ! पार्वती जी कही दिखाई नही
दे रही थी ! दोनो बच्चों मे से अकेला गणेश अपने चुहे के साथ खेलता
दिख रहा था ! भोले बाबा को लग गया कि कहीं ना कहीं कुछ गड्बड तो
है ! और हो ना हो ये गड्बड भी लक्ष्मी जी ही करके गई होगी ! शाम को
भान्ग के समय इतनी उपेक्षा तो कभी नही हुई ! और भोले बाबा ने उठते
हुये गणेश को आवाज लगाई--- गणेश ओ बेटा गणेश .. तेरी मां
कहां है बेटा ?
और भोले बाबा के दिमाग मे लक्ष्मी जी के बारे मे विष्णु भगवान द्वारा
कही बाते घूमने लगी ! (क्रमश:)
मग्गा बाबा क प्रणाम !
भोलेनाथ और माता पार्वती ....
Thursday, 14 August 2008 at Thursday, August 14, 2008 Posted by मग्गा बाबा
Labels: गणेश, नशा, पार्वती जी, भांग
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4 comments:
14 August 2008 at 14:58
बाबा जी अगर पार्वती के घर किटी पार्टी हो जाये या फ़िर एकता कपुर के नाटक चलते तो क्या नाजारा चलता ??? :)
मेरे भोले बाबा बेचारे
14 August 2008 at 20:27
धन्य हुए मग्गा बाबा के प्रवचन सुन कर. मग्गा बाबा की जय.
15 August 2008 at 01:09
I am waiting, Babaji.
15 August 2008 at 13:26
आप मेरे सवाल का जवाब क्यूँ नही दे रहे हैं ?
मैंने कितनी मेल आपको की हैं ! कृपया मेरी
जिज्ञासा शांत करें ! मन बहुत बैचैन है !
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